छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव गठबंधन के रिश्तों में टूट के संकेत

  1. छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव बसपा-जकांछ गठबंधन के रिश्तों में टूट के संकेत

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा की आमने-सामने की लड़ाई के बीच खड़े बसपा-जकांछ गठबंन के रिश्तों में भी सीटों के लेकर कड़वाहट आ सकती है।

विधानसभा चुनाव में जकांछ व बसपा का गठबंन हुआ था। जकांछ राज्य की 90 सीटों पर जहां 55 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, वहीं बसपा को 35 सीटें मिली थीं। बसपा ने सीपीआई को दो सीट दे दी थी। वहीं जकांछ के दो उम्मीदवार ऋचा जोगी व गीतांजलि पटेल को बसपा ने अपना सिंबल दिया था।

दोनों दलों का यह दावा जरूर है कि लोकसभा चुनाव में उनका गठबंन जारी रहेगा पर दिक्कत यह है कि जकांछ व बसपा दोनों ही अधिकाधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। जकांछ जहां स्थानीय दल होने के कारण अधिक सीट चाह रहा है तो बसपा सुप्रीमो मायावती का निर्देश है कि उनकी पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

 

उसी आधार पर यह माना जा रहा था कि जकांछ व बसपा लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा करेंगे। पहले 50-50 का फार्मूला अपनाए जाने का संकेत नेताओं ने दिया था जिसमें जकांछ को छह व बसपा को पांच सीट मिलती दिख रही थी।

 

मायावती के जन्मदिन पर जोगी कुनबा दिल्ली गया था और शुभकामना देने के बाद सीटों के बंटवारे को लेकर भी बात हुई। बातचीत का नतीजा क्या रहा इसका खुलासा तो दोनों दलों ने नहीं किया, पर अंदरखाने यह बात चलती रही कि सीटों का गणित अभी सुलझ नहीं पाया है। अब दोनों दलों के सूत्र इस बात का दावा कर रहे हैं कि गठबंन तो रहेगा पर हमारे दल की हिस्सेदारी अधिक रहेगी। दोनों के अपने-अपने दावे भी हैं। अगर सूत्रों की मानें तो सीटों को लेकर गठबंन में खटास भी आती दिख रही है। हालांकि अंतिम निर्णय क्या होगा यह मायावती व अजीत जोगी को ही तय करना है।

 

गठबंन रहेगा पर अधिक सीट बसपा को

 

बसपा के प्रदेश प्रभारी एमएल भारती ने कहा कि जकांछ के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंन यथावत रहेगा पर अधिकाधिक सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे, ऐसा राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्देश है। सीटों की संख्या व क्षेत्र का अंतिम निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को ही लेना है।

 

कोई समस्या नहीं, आपस में हो जाएगा तय

 

जकांछ के प्रवक्ता संजीव अग्रवाल का कहना है कि जकांछ-बसपा दलों का नहीं दिलों का गठबंन है और यहां सीट व क्षेत्र का कोई सवाल ही नहीं है। आपस में बैठकर यह तय हो जाएगा कि कौन सा दल किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा। कोई कहीं से लड़े चुनाव तो गठबंन लड़ेगा।

 

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