सतलुज का पानी,अब पाकिस्‍तान को नहीं मिलेगा ये है वजह

अब पाकिस्‍तान को नहीं मिलेगा सतलुज का पानी, ये है वजह

 

 

भारत-पाकिस्तान सरहद पर सतलुज नदी पर बने हुसैनीवाला हेड के सभी गेटों की मरम्मत का काम 90 फीसद पूरा हो गया है।

फिरोजपुर अब पाकिस्तान सतलुज नदी के पानी के लिए तरसेगा। पाकिस्तान जाने वाले पानी का प्रयोग पंजाब व राजस्थान की धरती की प्यास बुझाने के लिए होगा।

 

 

 

सिंधु जल समझौते के साथ सतलुज नदी के पानी पर पूरा अधिकार भारत का है। ऐसे में अब तक हुसैनीवाला हेड से हजारों क्यूसिक पानी जो पाकिस्तान को उदारता स्वरूप रोजाना दे रहा था, उस पर अब अंकुश लगने जा रहा है। इसकी घोषणा वीरवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी की है।

हुसैनीवाला हेड के गेटों की मरम्मत के लिए नहरी विभाग को करोड़ों रुपये की राशि जारी की गई थी। इसके तहत नवंबर महीने से चल रहा गेटों की मरम्मत का काम अब पूरा होने वाला है।

नहरी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हुसैनीवाला हेड से जो पानी अब तक पाकिस्तान जा रहा था, वह पानी गंग व ईस्टन कैनाल के माध्यम से पंजाब व राजस्थान के हिस्सों में छोड़ा जाएगा।

 

हरिके हेड के एक्सईएन हाकम सिंह का कहना है कि फिलहाल हरिके हेड में जो पानी है, वह पंजाब व राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में होने वाले निर्णय के तहत दोनों राज्यों को भेजा जा रहा है। इसके अलावा जो अतिरिक्त पानी बच रहा है, उसे हुसैनीवाला हेड की ओर भेजा रहा है।

 

पाकिस्तान की ओर सतलुज का प्रवाह रोके जाने से पाकिस्तान की लाखों हेक्टयर खेती योग्य जमीन व मछली उद्योग बुरी तरह से प्रभावित होगा।

 

पाकिस्तान की 90 हजार हेक्टयर जमीन होती रहेगी सिंचित

 

 

 

हुसैनीवाला हेड से भले ही पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोक लिया जाए, फिर भी सतलुज के पानी से पाकिस्तान की 90 हजार हेक्टयर जमीन सिंचित होती रहेगी।

 

 

 

इसका कारण यह है कि हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड की ओर जाते रास्ते में सतलुज का पानी का दो हिस्सों में बंट जाता है, जिसमें एक हिस्सा बस्ती राम लाल से पाकिस्तान के कसूर जिले में चला जाता है, जो घूमकर हुसैनीवाला हेड से पहले गांव गट्टी हजारा सिंह वाला व गांव चांदी वाला के पास भारत में आकर मिलता है।

 

 

 

सतलुज के इस पानी से पाकिस्तान की 90 हजार हेक्टयर से ज्यादा जमीन सिंचित होती है। यही नहीं, कसूर जिले के लोग भी इस पानी का प्रयोग करते हैं।

 

 

 

बीएसएफ को भी मिलेगी राहत

 

 

 

बीएसएफ के लिए सतलुज नदी के प्रवाह मार्ग पर कंटीली तारें लगाना संभव नहीं है। सतलुज नदी भारत-पाक सरहद को सात बार क्रॉस करती है।

 

 

 

इसका फायदा देशविरोधी तत्वों व तस्करों द्वारा उठाए जाने की आशंका हमेशा बनी रहती है। ऐसे में जब सतलुज का प्रवाह पूरी तरह से रोक लिया जाएगा तो बीएसएफ को सतलुज की तलहटी तक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में आसानी होगी।

 

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