आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती समारोह का आयोजन

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आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती समारोह का आयोजन

बहराइच। आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती समारोह का आयोजन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्वाधान में सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संघ के क्षेत्रीय क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेन्द्र व विशिष्ट अतिथि सामाजिक समरसता प्रमुख राजकिशोर तथा जिला संघ चालक कृष्णानन्द शुक्ल उपस्थित रहे, जबकि अध्यक्षता पत्रकार सतीश कुमार श्रीवास्तव ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती, भारत माता व देवर्षि नारद के चित्रों पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर पत्रकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।

 

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मुख्य अतिथि नरेन्द्र ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत को ऋषियों ने बनाया है, किसी सत्ता ने नहीं। हम महापुरूषों को स्मरण करते हैं। इसमें पसंद व नपसंद का कोई मतलब नही है। नारद जी का सबसे सम्पर्क था। यह पत्रकारिता के लिए प्रासंगिक है कि सत्य को निकालकर समाज के सामने प्रस्तुत करते हुए सर्वसमाज व देशहित में कार्य करते रहें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र व धर्म निरपेक्षता देश में प्रारम्भकाल से ही रही है।

अंग्रेजों ने ऐसा किया, यह कहना गलत है। उन्होंने कहा कि विचारधारा व मतभिन्नता भी रहेगी, लेकिन राष्ट्र के सत्य के साथ समझौता नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1994 में संघ में प्रचार विभाग आया, इस पर भी मतभिन्नता रही। उन्होंने कहा कि आज के वैचारिक युग में यह आवश्यक है, अन्यथा हम पिछड़ जायेंगे, क्योंकि सूचना की गति बहुत तेज है और इस पर कोई नियंत्रण भी नही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में कोई राष्ट्र विरोधी वक्तव्य नही बोल सकता, लेकिन यहां लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आंड़ में आयेदिन राष्ट्र विरोधी वक्तव्य देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति, राष्ट्रवाद व धर्मनिरपेक्षता का जो कुछ लोग आज विरोधी पाठ पढ़ा रहे हैं, वह गलत है, क्योंकि मां व पत्नी के अन्तर को सदैव रखना पड़ेगा कि क्या उचित है, क्या अनुचित है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अंकुश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश उचित विमर्श की दिशा में जा रहा है, जो राष्ट्रवाद है। राष्ट्रीय विषयों पर विमर्श का केन्द्र बन रहा है और समाज उसके साथ खड़ा दिखायी देता है, जो सुखद व समाजहित में है। इसी भाव को स्थापित करने का प्रयास नारद जी ने किया था। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता देश की शोभा रही है, लेकिन धर्मनिरपेक्षता व राष्ट्रवाद को परसपर विरोधी खेमे में खड़ा किया जाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्र की एक भावना होनी चाहिए और सबको उसके साथ चलना चाहिए, क्योंकि राष्ट्र भूमि का एक टुकड़ा नही होता।
विशिष्ट अतिथि रामकिशोर ने कहा कि नारद जी का देवों व दानवों दोनों में मान्यता थी। उन्होंने ही सार्थक संवाद करने की परम्परा शुरू की थी, लेकिन उसमें निम्नता दिखती है। नारद जी इधर-उधर घूम कर स्वस्थ संवाद जोड़ते थे। वह राम व रावण एवं कृष्ण व कंस सबसे मिलते थे। वह सार्थक संवाददाता की भूमिका में थे। उसी स्वस्थ परम्परा का हमें भी पालन करना होगा। विशिष्ट अतिथि श्री शुक्ल ने कहा कि नारद जी का कृतित्व व व्यक्तित्व लोकमंगल के लिए था। उनसे देश के चिंतकों व विचारकों को लोक कल्याण का विचार मिला। पहले लोग मात्र राष्ट्रहित के लिए सोंचते थे, जिसके परिणाम स्वरूप ही स्वतंत्रता मिली। उन्होंने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण हैं। उनका कार्य लोक व राष्ट्रहित में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि विश्व कल्याण की भावना होगी, तो हम अपना कार्य सफलतापूर्ण कर सकेंगे। पत्रकार प्रमोद शुक्ल ने कहा कि नारद जी के साथ भौतिक व आद्यात्मिक शक्तियां थीं, इसीलिए वह तीनों लोकों की पत्रकारिता करते थे, लेकिन आज का दौर विज्ञप्ति का है, जिसे हमने नही देखा, उसका भी प्रसारण करना पड़ता है। ऐसे में पत्रकारिता की विश्वस्वनीयता आपके नजर में कैसे रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने विदेशों के संविधान से कई बातों को लेकर अपने संविधान में जोड़ा, लेकिन पत्रकारिता को कोई अधिकार संविधान में नही दिया गया, लेकिन अमेरिका के संविधान में पत्रकारिता को स्वतंत्रता दी गई है, इसी के कारण वहां का पत्रकार राष्ट्रपति के खिलाफ लिखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि यहां हम स्वतंत्रता जरूर है, लेकिन एक दौर ऐसा भी आया, जब हमें प्रतिबंधित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गैर जानकार लोग भी आ गये हैं, जिससे हम संक्रमणकाल से गुजर रहे हैं। ऐसे में क्या गलत है, क्या सही है, इसका पता लगाना कठिन हो गया है। कार्यक्रम को पत्रकार हेमन्त मिश्र, प्रदीप तिवारी, उमाकान्त शुक्ल, गोपाल शर्मा, आशीष सक्सेना, अजय शर्मा, राजीव शर्मा के अलावा नरेन्द्र शंकर, मुकुट बिहारी तिवारी, कवि रामसूरत वर्मा जलज, रश्मि प्रभाकर, अर्चना आर्या, प्रदीप कुमार प्रचंड आदि ने भी सम्बोधित किया। अध्यक्षता कर रहे पत्रकार श्री श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि पत्रकार को पीड़ितों की समस्याओं को सक्षम लोगों तक पहुंचाकर उनकी पीड़ा कम करने का कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोककल्याणकारी व लोकमंगलकारी होनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डा. देवेन्द्र उपाध्याय ने किया। अतिथियों का आभार धु्रव कुमार मिश्र व परिचय अतुल गौड़ ने कराया। इस अवसर पर मनोज गुप्ता, प्रदीप शर्मा, हनुमान प्रसाद गुप्ता, दिवाकर सिंह, संजय मिश्रा, अभिषेक शर्मा, जावेद सिद्दीकी, सोनू हैदर, राजन कुमार, आशीष गुप्ता आदि पत्रकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रान्त सहसम्पर्क प्रमुख हनुमान प्रसाद यादव, जिला कार्यवाह शंकरबक्श सिंह, जिला प्रचारक राहुल, जिला सम्पर्क प्रमुख ललित दीक्षित, जिला सहसम्पर्क प्रमुख नरेन्द्र शंकर, जिला परिवार प्रबोधन प्रमुख नारायण, नगर कार्यवाह भूपेन्द्र, नगर प्रचारक पंकज, आकाश, पुष्पम, विनोद, ओमप्रकाश सक्सेना, उत्तम कुमार मिश्र, महेश, कौशल, जयसुखलाल, कृष्ण मुरारी, जगदम्बा बक्श सिंह, मृत्युंजय कुमार शुक्ला आदि सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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